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भारत की राष्ट्रपति संत टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में शामिल हुईं

देश की जनसांख्यिकीय स्थिति का लाभ लेने के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 24.10.2025

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 24 अक्तूबर, 2025 को केरल के एर्नाकुलम स्थित संत टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में शामिल हुईं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि संत टेरेसा कॉलेज में आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाते हुए भारत में महिला शिक्षा को बढ़ावा दिय़ा जा रहा है। सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण में यह एक महान योगदान है। हमें उन प्रतिष्ठित विभूतियों की दूरदर्शिता और विरासत को गहराई से स्वीकार करना चाहिए जिन्होंने इस संस्थान का निर्माण किया और इसे एक शताब्दी तक निरंतर उपलब्धियां हासिल करते रहे।

राष्ट्रपति ने कहा कि केरल की महिलाएं राष्ट्र का नेतृत्व करती रही हैं। संविधान सभा में शामिल पंद्रह असाधारण महिलाओं ने भारत के संविधान के निर्माण में समृद्ध योगदान दिया। इन पंद्रह असाधारण महिलाओं में से तीन केरल से थीं। अम्मू स्वामीनाथन, एनी मस्कारेन और दक्षायनी वेलायुधन ने मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। भारत में उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला न्यायमूर्ति अन्ना चांडी केरल से थीं। साल 1956 में, वह केरल उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी 1989 में भारत के उच्चतम न्यायालय में इतिहास की प्रथम महिला न्यायाधीश बनी।

राष्ट्रपति ने कहा कि संत टेरेसा कॉलेज की मेधावी छात्राएँ युवा भारत, संपन्न भारत और जीवंत भारत की प्रतिनिधित्व हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की जनसांख्यिकीय स्थिति का लाभ लेने के लिए महिलाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दशक के दौरान लैंगिक बजट आबंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि की गई है। वर्ष 2011 और 2024 के बीच महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाले एमएसएमई उद्योगों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रमुख स्तंभों में एक कार्यबल में 70 प्रतिशत महिला की भागीदारी सुनिश्चित करना है। विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों की महिलाएँ भारत की विकास यात्रा में योगदान दे रही हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस कॉलेज की पूर्व छात्राएँ देश की उन्नति और विकास में सकारात्मक योगदान दे रही हैं।

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि संत टेरेसा कॉलेज द्वारा ‘शिक्षा’ के माध्यम से स्थिरता, नेतृत्व और एजेंसी को बढ़ावा देने के लिए ‘स्लेट’ नामक परियोजना आरम्भ की गई है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को आरम्भ करके कॉलेज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रमाणित की है। युवाओं को सतत विकास लक्ष्यों के तहत भारत के लक्ष्यों से जोड़ना और उन्हें भविष्य में रोजगार के लिए सक्षम बनाना इस परियोजना के सराहनीय लक्ष्य हैं। उन्होंने कहा कि संत टेरेसा कॉलेज जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों से भारत को एक ज्ञान-महाशक्ति बनाने में मदद मिलेगी।

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